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(₹149.00 Per Pcs)
E BOOK-Durga Bhabhi @ 149.00
‘दुर्गा भाभी: अंडरकवर पोस्ट बॉक्स’ एकल नाटक है।
देशभक्ति पूर्ण यह ऐतिहासिक नाटक महिला क्रांतिकारी दुर्गावती वोहरा के जीवन पर आधारित हैं। वे स्वतंत्रता संग्राम की साक्षी भी थीं और सहभागी भी। क्रांतिकारियों में वे दुर्गा भाभी के नाम से पहचानी जाती थीं। इस क्रांति-कथा में 1920 से 1931 के बीच के घटनाक्रम हैं। इसी काल में चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ़ बलिदानी संघर्ष किया था।
रंगमंच की इस प्रस्तुति का लेखन जाने-पहचाने लेखक और पत्रकार शकील अख़्तर ने किया है। नाटक के लेखन में दुर्गावती के संपर्क में रहे वयोवृद्ध लेखक श्री सत्यनारायण शर्मा का मार्गदर्शन रहा है।
इस नाटक की ऐतिहासिक उपन्यासकार डॉ. शरद पगारे और फ़िल्म निर्माता, लेखक और दूरदर्शन व ऑल इंडिया रेडियो के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक श्री राजशेखर व्यास ने प्रशंसा की है।
AUTHOR
Shakeel Akhter is a creative writer, playwright, and journalist. Former editor of India's top TV news channel 'India TV'. Before TV journalism, he served in Hindi newspapers like Naidunia, Dainik Bhaskar, Free Press General, Chautha Sansar, and Nav prabhat. His journey continues as the Founder Editor of IndoreStudio.com, a website focused on art activities. Along with acting in plays and TV-cinema programs, Shakeel Akhter has written 7 plays. Their names are - Jai Hind Subhash, Durga Bhabhi: Undercover Post Box, Monia the Great, Blue Whale: Ek Dangerous Game, Jungle City, and Hello Shakespeare, and this film is Zara Hatke. Two of these plays have also been staged at the National School of Drama, Delhi. His poetry collection ‘Dil Hi To Hai’ has been published by Mumbai Mirror. Many songs have been composed. Recently a film script has been written on the life of female revolutionary Durga Bhabhi. He has also made creative contributions through continuous writing on personalities related to art and culture. Shakeel Akhter was a member of the preview committee of the International Film Festival of India IFFI 2019 and 2020 by the Delhi Film Directorate (DFF), run under the Ministry of Information and Broadcasting. He were also invited to the jury of Indian Panorama at the Bangalore International Film Festival (BIFF). Has been honored with 5 media awards and other commendations for writing and journalism. Shakeel Akhter is a graduate of Devi Ahilya University, Indore, and has completed an MA in Hindi Literature from Jiwaji University, Gwalior (Madhya Pradesh).
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंति वर्ष में उनके बचपन पर लिखा शकील अख़्तर का यह बहुप्रशंसित नाटक है।
शोध आधारित इस नाटक में महात्मा गांधी के 7 साल की उम्र से 18 साल की उम्र तक यानी 1876 से 1887 के बीच गुज़रे अहम प्रसंग हैं।
नाटक के पहले दो शोज़ नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली (भारत) में हुए हैं। सीनियर थिएटर डायरेक्टर हफीज़ ख़ान के निर्देशन में इन शोज़ में 23 बाल कलाकारों ने काम किया था।
एनएसडी के रजिस्ट्रार पीके मोहंती के शब्दों में, बच्चों के लिये यह प्रेरक और शिक्षाप्रद नाटक है।
हफीज़ ख़ान कहते हैं, ‘नाटक में महात्मा गांधी के बाल जीवन के वो अहम प्रसंग हैं जिन्होंने उन्हें ‘मोनिया दि ग्रेट’ बनाया।
E BOOK-Hello Shakespear @ 149.00
‘हैलो शेक्सपियर’ एक प्रयोगधर्मी नाटक है। इसमें शेक्सपियर के लिखे 6 प्रमुख नाटकों के विशिष्ट दृश्यों को संयोजित किया गया है।
यह नाटक हैं-मैकबेथ, किंगलियर, हैमलेट, ऑथेलो, रोमियो जूलियट और जूलियस सीज़र। इनमें ज़यादातर शेक्सपियर के बेहद सफल और चर्चित ट्रैजिडी नाटकों की झलक हैं। नाटक में ख़ुद शेक्सपियर एक किरदार के रूप में मौजूद है।
वरिष्ठ रंग निर्देशक और बाल रंगमंच के विशेषज्ञ हफीज़ ख़ान की संकल्पना पर आधारित इस नाटक लेखन भारत के जाने-पहचाने लेखक-पत्रकार शकील अख़्तर ने किया है।
E BOOK-Jai Hind Subhash @ 149.00
जयहिंद सुभाष
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित नाटक है ‘जयहिंद सुभाष’। नाटक में बालक, किशोर, युवा और प्रौढ़ सुभाष चन्द्र बोस के भारत की स्वाधीनता के संघर्ष की प्रमुख घटनाओं का चित्रण किया गया है।
यह ऐतिहासिक नाटक सत्य घटनाओं पर आधारित है। नाटक के गीत-संगीत में, आजाद हिन्द फौज के मूल गीतों का भी उपयोग किया गया है।
क्रांतिकारियों के जीवन पर 35 पुस्तकों का लेखन करने वाले श्री सत्यनारायण शर्मा और सुभाष चंद्र बोस से जुड़े साहित्य के अध्धयनकर्तातपन मुखर्जी ने इस नाटक की प्रशंसा है। इसे आज़ादी के अमृत महोत्सव के समय में लिखी गई एक उपयोगी नाट्य कृति बताया है।
जाने-पहचाने लेखक और पत्रकार शकील अख़्तर ने इस नाटक का लेखन किया है
एक आपराधिक घटना से चकरघिन्नी की कहानी बनी है। यह कहानी मुंबई अंडरवर्ल्ड से जुड़ी है।
मुंबई के गिरोह ने कारोबारियों और उद्योगपतियों को धमकाना शुरू किया कि तुमने सरकारी टैक्स भर दिया, चलो हमारा टैक्स भरो। दाऊद गिरोह ने काला धन घोषित करने वाले तमाम लोगों से 10 फीसदी रकम की वसूली की।
फिल्म का कथानक व पटकथा का साहित्य रूप में आकार लेना अब नई बात नहीं रही क्योंकि विवेक अग्रवाल लिखित फिल्म 'अदृश्य' पहले प्रदर्शित हुई, उसके बाद बशक्ल उपन्यास आ गई। ऐसा ही चकरघिन्नी के साथ हो रहा है। यह पटकथा रूप में पहले लिख ली, अब उपन्यास में तब्दील हुई है।
यह साहित्य नहीं, महज मनोरंजन का मसाला है। इसमें जो साहित्यिक समाधान चाहते हैं, उन्हें निराशा होगी। इसमें जिन्हें तथ्य व लॉजिक चाहिएं, उन्हें भी कुछ खास नहीं लगेगा। इसके बावजूद यह पठनीय जनप्रिय लेखन है।
लिंबू मिरची किताब विवेक अग्रवाल की लेखकीय दृष्टि का अलग पहलू पेश कर रही है।
उनका पहला लघुकथा संग्रह लिंबू मिरची है। यह किताब न जाने कितने विषयों और किरदारों के साथ हाजिरी लगाती है। विवेक अग्रवाल ने इन लघु कथाओं में न केवल विषयों का विस्तार तथा विविधता बनाए रखे हैं बल्कि किरदारों का अनूठा संसार भी गढ़ा है। वे कहानियां लिखते हुए सामाजिक बुराईयों पर गहरा प्रहार करते हैं। कुछ ऐसे बिंदु भी उठा लाए हैं, जो समाज को नई दशा और दिशा देते हैं।
इन कहानियों में समय साथ-साथ चलता है। समाज से उठाए विषय पर लघु कथाएं लिंबू मिरची में हैं। ये छोटी कहानियां मन में टीस भरती हैं। आंखों के कोर गिले करती हैं। कसमसाती हैं। दुखी करती हैं। कभी गुदगुदाती, हंसाती भी हैं। हर कहानी का अपना व्यक्तित्व है क्योंकि हर लघुकथा अलग विषय, स्थान, वक्त, भाव, पात्र धारण करती है।
रुचि और अति उत्साह वाली कहानीकार अलका अग्रवाल ने अपनी कहानियों के मार्फत ध्यान आकर्षित किया है। जीवन में दोस्ती, रिश्तेदारियों, समाज, आदर्शवादी मनुष्यता का स्त्रियोचित प्रसाद इन कहानियों में बिखरा है। ये कहानियां अपने युग का प्रतिनिधित्व करती हैं। तब की लड़कियाँ और स्त्रियों की कहानी और उनका समय पूरे शबाब पर है। आज भले ही वक्त बीत चुका हो, अलका अग्रवाल की कहानियां आज भी वही असर छोड़ती हैं। अलका अग्रवाल की कहानियों में भूमंडल और नगर जीवन की अतिआधुनिक संवेदनशीलता के साथ सामने आती हैं। मुदे इतिहास नहीं लिखते कथा संग्रह की कहानियों में आभा है, भविष्य के अंकुर हैं, जीवन गाथा के स्फुट चित्र हैं। अलका स्त्री विमर्श की कहानियां लिखती हैं। एक महानगर में गृहस्थी के अंतरविरोधों से निकल कर इस कहानीकार ने इन कहानियों को जन्म दिया है। ये कहानियां मन को आलोड़ित करती हैं, झकझोरती हैं।
E BOOK-UNDERWORLD DANE @ 149.00
Non Fiction book based on Mumbai Underworld true account. This book has 98 short pieces in Hindi about Mumbai Mafia. The tales of Mumbai underbelly will give you new horizon. The narrative of the book presents the facts, anecdotes and history of dark world of Mumbai. It is true account and chronicle of dark side of human history.
मुम्बई की बारबालाओं की अब तक अनकही दास्तान को बयान करती है। बारबालाओं की जिन्दगी की उन सच्चाइयों से परिचित कराती है जो निहायत तकलीफदेह हैं।
अपने हुस्न और हुनर से दूसरों का मनोरंजन करती हैं यह उनकी जाहिर दुनिया है। लेकिन शायद ही कोई जानता होगा कि दूर किसी शहर में मौजूद अपने परिवार से अपनी सच्चाई को लगातर छुपाती हुई वे उसकी हर जिम्मेदारी उठाती हैं। वे अपने परिचितों की मददगार बनती हैं। लेकिन अपनी हसरतों को वे अकसर मरता हुआ देखने को विवश होती हैं।
कुछ बारबालाएँ अकूत दौलत और शोहरत हासिल करने में कामयाब हो जाती हैं, पर इसके बावजूद जो उन्हें हासिल नहीं हो पाता, वह है सामाजिक प्रतिष्ठा और सुकून-भरी पारिवारिक जि़न्दगी।
नाउम्मीदी-भरी इस दुनिया में शर्वरी सोनावणे जैसी लड़की हैं जो बारबालाओं को जिस्मफरोशी के धन्धे में धकेलनेवालों के खिलाफ कानूनी जंग छेड़े हुए है।
प्रियदर्शिनी देश की प्रधानमंत्री, जिनके लिए भारत की संप्रभुता सबसे ऊपर है। अमरीका ने खतरनाक सीआईए एजंट रॉबर्ट को प्रियदर्शिनी वध का जिम्मा सौंप रखा है। रॉबर्ट हमले की योजनाएं बनाता है, हर हमले का उसे रेड बैरेट से मुंहतोड़ जवाब मिलता है।
सेना के विभाग टेक्टिकल एक्शन ग्रुप (टेग) के बैनर तले काम करने वाले अज्ञात ग्रुप का कोड नेम रेड बैरेट है।
रेड बैरेट के पास सिर्फ एक काम है - हर हाल में प्रधानमंत्री की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाना, दुश्मनों के एक्टिव होते ही दबोच कर सूचनाएं हासिल करना और मार गिराना।
रेड बैरेट के लिए सीमाओं का बंधन नहीं है। इन्हें सारी दुनिया में काम करने के लिए मुक्त रखा गया।
रेड बैरेट उपन्यास पूरे घटनाक्रम का रोमांचक और लोमहर्षक वर्णन पेश करता है। भारतीय सैन्य खुफिया इकाई की जाबांजी के तमाम किस्सों में से कुछ रेड बैरेट में पेश करता है।
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंति वर्ष में उनके बचपन पर लिखा शकील अख़्तर का यह बहुप्रशंसित नाटक है।
शोध आधारित इस नाटक में महात्मा गांधी के 7 साल की उम्र से 18 साल की उम्र तक यानी 1876 से 1887 के बीच गुज़रे अहम प्रसंग हैं।
नाटक के पहले दो शोज़ नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली (भारत) में हुए हैं। सीनियर थिएटर डायरेक्टर हफीज़ ख़ान के निर्देशन में इन शोज़ में 23 बाल कलाकारों ने काम किया था।
एनएसडी के रजिस्ट्रार पीके मोहंती के शब्दों में, बच्चों के लिये यह प्रेरक और शिक्षाप्रद नाटक है।
हफीज़ ख़ान कहते हैं, ‘नाटक में महात्मा गांधी के बाल जीवन के वो अहम प्रसंग हैं जिन्होंने उन्हें ‘मोनिया दि ग्रेट’ बनाया।
इस पुस्तक के लेखक डॉ. राजेंद्र संजय अपने दिल की बात बताते हुए कहते हैः- “कवि की पहचान उसकी कविता है। मेरी कविताओं को एक बुज़ुर्ग शायर ने सुना। सुनकर वह बहुत प्रभावित हुए और सलाह दी कि मैं अपने संस्कृत बहुल शब्दों पर उर्दू की चाशनी चढ़ाऊँ। यह मुझे बहुत दूर तक ले जाएगी। काफी उधेड़-बुन के बाद मुझे अहसास हुआ कि बुज़ुर्ग का कहना बिल्कुल सही था।
मुश्किल में जो काम आता है उससे दिल का रिश्ता जुड़ जाता है। दरअस्ल, ये रिश्ते इंसानी ज़िंदगी में वह सीढ़ी हैं जिनके सहारे इंसान किसी भी ऊँचाई को छू सकता है।यह रिश्ता ही ख्वाबों को जन्म देता है, उनमें उड़ान भरता है, यह इंसान को कहाँ से कहाँ पहुँचा देता है। इंसान इसी की बदौलत देवत्व को भी हासिल करता है। रिश्ते हैं तो सबकुछ है वरना कुछ भी नहीं है।
E BOOK-Jai Hind Subhash @ 149.00
जयहिंद सुभाष
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित नाटक है ‘जयहिंद सुभाष’। नाटक में बालक, किशोर, युवा और प्रौढ़ सुभाष चन्द्र बोस के भारत की स्वाधीनता के संघर्ष की प्रमुख घटनाओं का चित्रण किया गया है।
यह ऐतिहासिक नाटक सत्य घटनाओं पर आधारित है। नाटक के गीत-संगीत में, आजाद हिन्द फौज के मूल गीतों का भी उपयोग किया गया है।
क्रांतिकारियों के जीवन पर 35 पुस्तकों का लेखन करने वाले श्री सत्यनारायण शर्मा और सुभाष चंद्र बोस से जुड़े साहित्य के अध्धयनकर्तातपन मुखर्जी ने इस नाटक की प्रशंसा है। इसे आज़ादी के अमृत महोत्सव के समय में लिखी गई एक उपयोगी नाट्य कृति बताया है।
जाने-पहचाने लेखक और पत्रकार शकील अख़्तर ने इस नाटक का लेखन किया है
वो एक फोर्जर है। मास्टर फोर्जर। देश-विदेश का ऐसा कोई दस्तावेज या पासपोर्ट नहीं, जिसकी नकल अब्बास नहीं कर सकता।
अब्बास के क्लाईंट भी छोटे-मोटे नहीं हैं। देश के नामी-गिरामी अंडरवर्ल्ड डॉन, चीटर, कार्पोरेट लीडर्स, क्रिमिनल्स, दबंग, बाहुबली, भ्रष्ट नेता-अफसर... हर वो शख्श, जिसे कानून की निगाहों से, कानून के लंबे हाथों से, बच कर इंसानों के जंगल में गुम हो जाना है।
अब्बास का काम बखूबी चल रहा है। बिना किसी हंगामे और शोर-शराबे के चल रहे काम में एक दिन ऐसी अड़चन आई कि अब्बास की जिंदगी ही खतरे में पड़ गई। जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में अब्बास को वही सब करना पड़ा, जो उसके क्लाईंट्स करते आए हैं।
अब्बास का किरदार मुंबई अंडरवर्ल्ड में मौजूद रहा है, जिसे हूबहू पेश किया है लेकिन कथानक को रोचक बनाने के लिए कुछ लेखकीय छूट ली हैं।
प्राणियों के प्रति संवेदना जगाता ‘जंगल सिटी’ एक दिलचस्प नाटक है। इसमें ज़्यादातर प्राणियों के किरदार हैं।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली में शैक्षणिक मामलों के पूर्व डीन डॉ. (प्रो) अभिलाष पिल्लई के मुताबिक - ‘यह नाटक मनुष्यों और जानवरों के बीच संबंधों की पड़ताल करता है। इस बात पर ध्यान आकर्षित करता है कि हम जानवरों को कैसे देखते हैं और प्राणी हमें कैसे देखते हैं।
यह नाटक हमें प्रसिद्ध नाटकों और फिल्मों जैसे ‘जंगल बुक’ और ‘लायन किंग’ की मेमोरी लेन में भी ले जाता है। यह नाटक रंगमंचीय प्रयोगों, चिल्ड्रन वर्कशॉप्स के साथ स्कूल सेलिब्रेशन या वार्षिक आयोजनों के भी योग्य है’।
नाटक का लेखन जाने-पहचाने पत्रकार और लेखक श्री शकील अख़्तर ने किया है।
माफिया सिरीज की छठी किताब, जिसमें अंडरवर्ल्ड और फिल्म जगत के आंतरिक रहस्यों का पर्दाफाश है।
मुंबई फिल्मोद्योग की एक सेक्सी अभिनेत्री मुंबई अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह दानिश की अंकशायिनी कैसे और क्यों बनी? इस अदाकारा का ही जीजा अदीब कैसे और क्यों बन गया डॉन दानिश के लिए फिल्म जगत की अंदरूनी सूचनाएं देने वाला इनसाईडर? फिल्मी दुनिया और अंडरवर्ल्ड के बीच ऐसा चोली-दामन का गठबंधन है कि छूटे नहीं छूटता।
पुलिस वाले भी फिल्मी दुनिया का दोहन अंडवर्ल्ड के रिश्तों और उससे बचाने के नाम पर करते हैं।
ये तमाम नग्न सत्य का प्रकटन करता विवेक अग्रवाल का सच्चे किरदारों को केंद्र में रख कर लिया उपन्यास आपको हर पल चौंकाएगा।
समाज में कहानियां कहां नहीं बिखरी हैं। अंडरवर्ल्ड भी इनसे अछूता नहीं है। अपराध जगत में कहानियों का कोई टोटा नहीं, देखने की नजर भर चाहिए। इन पर साहित्यिक दृष्टिकोण से कभी काम नहीं हुआ। विवेक अग्रवाल ने यह काम आरंभ किया है। माफिया जगत के अंदर पैठ कर खोजी ये कहानियां हतप्रभ करती हैं। उनमें मानवीय रूप भी नजर आते हैं, तो समाज के सत्य व कसैले स्वरूप के दर्शन भी होते हैं।
A literary story collection based on underworld is first of its kind in the Hindi literature. All the charterers and events of the stories are based on a true event of sin and sinister of the world of criminality. Vivek Agrawal picked up some characters and stories from the Indian Mafioso and blended them with literary allegory
दिल्ली की एक सत्य घटना पर आधारित उपन्यास, जो स्पेशल सेल और आतंकवादियों के बीच चूहे-बिल्ली के खेल का रोमांचक नजारा पेश करता है।
आतंकवादियों के दिल्ली दहलाने की योजना एक कोड शीट में छुपी थी, जिसे डिकोड किया स्पेशल के जांबाज डीसीपी प्रताप सिंह और उनकी टीम ने।
दिमाग चकरा देने वाला उपन्यास जांच टीम को दिल्ली से बैंकॉक तक दौड़ाता है। हर पल नए रहस्योद्घाटन उपन्यास को नवीनता देते हैं।
A novel based on a true event of Delhi police and act of terrorism. A mindboggling plot of a terror act, how Special Cell of Delhi Police solves it.
At the end of the drama, the revelation shocks all the investigative team. Cracking the conspiracy and decoded the code sheet will give a great read to the readers.
मुंबई के डांस बारों पर एक किताब लिखने चला तो ‘बांबे बार – चिटके तो फटके’ तैयार हो गई। उसके बाद काम किया, तो ‘बारबंदी – बरबाद बारों की बारात’ भी तैयार हो गई। उसके बावजूद इतना मसाला बचा रह गया कि एक और किताब तैयार हो जाए, लिहाजा बारबंदगी ने आकार ले लिया।
मुंबई के डांस बार पूरी दुनिया के कैनवस पर सतरंगी और बदरंगी सपनों का संसार हर रोज रचता है। इसमें जो झिलमिलाते सितारे हैं, वह पीछे से दर्द के तारों से बंधा है।
महाराष्ट्र सरकार भले ही कहे कि राज्य में बारबंदी है, सच तो यह है कि हर जगह ‘बारबंदगी’ जारी है। रिश्वत और भ्रष्टाचार के जरिए इनकी रंगीनियां सारी रात गुलजार रहती हैं।
बारबंदी किताब में जहां बारों पर ताला जड़ने और उसके संघर्ष की दास्तान ऊभर कर सामने आई, वहीं बारबंदगी में डांस बारों के ऐसे विषयों पर चर्चा की है, जो रहस्य की श्रेणी में आते हैं।
E BOOK-Durga Bhabhi @ 149.00
‘दुर्गा भाभी: अंडरकवर पोस्ट बॉक्स’ एकल नाटक है।
देशभक्ति पूर्ण यह ऐतिहासिक नाटक महिला क्रांतिकारी दुर्गावती वोहरा के जीवन पर आधारित हैं। वे स्वतंत्रता संग्राम की साक्षी भी थीं और सहभागी भी। क्रांतिकारियों में वे दुर्गा भाभी के नाम से पहचानी जाती थीं। इस क्रांति-कथा में 1920 से 1931 के बीच के घटनाक्रम हैं। इसी काल में चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ़ बलिदानी संघर्ष किया था।
रंगमंच की इस प्रस्तुति का लेखन जाने-पहचाने लेखक और पत्रकार शकील अख़्तर ने किया है। नाटक के लेखन में दुर्गावती के संपर्क में रहे वयोवृद्ध लेखक श्री सत्यनारायण शर्मा का मार्गदर्शन रहा है।
इस नाटक की ऐतिहासिक उपन्यासकार डॉ. शरद पगारे और फ़िल्म निर्माता, लेखक और दूरदर्शन व ऑल इंडिया रेडियो के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक श्री राजशेखर व्यास ने प्रशंसा की है।