Chambal ke Shorya
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Chambal ke Shorya

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घोड़ों की टॉप, गरजती बंदूक, थर्राते बीहड़ यही चम्बल की पहचान दुनियां जहान को नज़र आती है। पर हकीकत यही सच नहीं। शौर्य, पराक्रम और स्वाभिमान की प्रतीक चम्बल घाटी के डाकुओं के आतंक ने भले ही हमारे देश की कई सरकारों को कई दशकों तक हिलाया हो। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि हृदय परिवर्तित होने पर चम्बल के इन्हीं बागियों ने दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारियों को न केवल हथियार व गोला बारूद मुहैया कराए बल्कि उनको सुरक्षित आश्रय देकर आजादी की लड़ाई में कंधे से कंधा मिला कर साथ भी दिया। ऐसे ही अनगिनत गुमनाम  क्रांतिकारियों को समर्पित है "चम्बल का शौर्य"

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रंगकर्म और लेखन से ताल्लुकात रखने वाले पवन सक्सेना को इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया का कई वर्षो का लंबा अनुभव है। आपने कई जाने माने हिंदी  धारावाहिक जैसे कि सावधान इंडिया, क्राइम पेट्रोल, संत नरसी, नो अबाउट नॉन के अलावा रियल्टी शो डांसिंग स्टार का भी लेखन कार्य किया है। आप सिनेमा जगत की मासिक पत्रिका  "फिल्म्स टुडे" पॉलिटिकल मैगज़ीन "आई ओपनर" एवं आध्यात्मिक पत्रिका "साक्षी दर्शन" का भी संपादन कर चुके हैं। देश के कई समाचार पत्रों एवं पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न मुद्दों पर आधारित आपके आलेख प्रकाशित हुए है। 

कला संस्कृति से जुड़ी कई महान विभूतियों जैसे कि सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित जसराज, बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया,आचार्य पंडित सुखदेव महाराज एवं उनकी पुत्री कत्थक क्वीन सितारा देवी,पंडवानी गायिका तीजन बाई जैसी कई महान हस्तियों पर लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।अन्ना आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए इन्होंने "वॉइस ऑफ कॉमन मैन" समाज सेवी संगठन का सृजन किया। 

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय शिविर से प्रशिक्षित पवन सक्सेना को आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा उनके उत्कृष्ठ कार्य के लिए सम्मानित किया गया है। 

नाट्य क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए बीकेसी, इस्कॉन मुंबई द्वारा“राधाकृष्ण उत्सव 2008 में सम्मानित किया गया है । 

साहित्य अकादमी,मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा पवन सक्सेना को वर्ष 2018 में लिखित कृति "चंबल का शौर्य"(संवाद पटकथा लेखन) के लिए अखिल भारतीय नरेश मेहता पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है।

नई दिल्ली में जीकेसी द्वारा हिंदी सिनेमा में सक्रिय योगदान के लिए 2022 का  “महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान पुरुस्कार भी प्राप्त हुआ।

BK043

Specific References

isbn
978-81-968561-1-3

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घोड़ों की टॉप, गरजती बंदूक, थर्राते बीहड़ यही चम्बल की पहचान दुनियां जहान को नज़र आती है। पर हकीकत यही सच नहीं। शौर्य, पराक्रम और स्वाभिमान की प्रतीक चम्बल घाटी के डाकुओं के आतंक ने भले ही हमारे देश की कई सरकारों को कई दशकों तक हिलाया हो। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि हृदय परिवर्तित होने पर चम्बल के इन्हीं बागियों ने दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारियों को न केवल हथियार व गोला बारूद मुहैया कराए बल्कि उनको सुरक्षित आश्रय देकर आजादी की लड़ाई में कंधे से कंधा मिला कर साथ भी दिया। ऐसे ही अनगिनत गुमनाम  क्रांतिकारियों को समर्पित है "चम्बल का शौर्य"

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