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आर्केस्ट्रा डांसर की दुनिया भी निराली है। एक तरफ जहां बेड़िया समुदाय की लड़कियां पारंपरिक रूप से इन ऑर्केस्ट्रा में नाचती मिलती हैं, तो गर्ल चाइल्ड ट्रैफकिंग की शिकार लड़कियां भी आर्केस्ट्रा डांसर बनती है, वहीं कुछ लड़कियां बाखुशी इस पेशे में आती है। जरूरी नहीं कि वे सब वेश्यावृत्ति करें। उत्तेजित भीड़ को अपने करीब तक नहीं फटकने देती।
बिहार राज्य में ही 2,000 से अधिक आर्केस्ट्रा पार्टी फुल टाइम लड़कियों के नाच-गाने पर ही चलती हैं। कोई गरीबी की वजह से, कोई आपातकालीन जरूरतों के कारण, कोई शौकिया तौर पर, कोई सिर्फ कमाई करने के लिए, तो कोई फिल्मों में एक रोल मिलने की चाहत में आर्केस्ट्रा पार्टियों के संचालकों की गुलाम बन मंचों पर नाचती हैं। एक तरफ आर्केस्ट्रा लोगों को रोजगार देते हैं, मनोरंजन करते हैं, तो दूसरी तरफ लड़कियों के लिए सुनहले पिंजरों में तब्दील हो जाते हैं।
AUTHOR
VIVEK AGRAWAL, a journalist with 3 decades of vast experience in the field of crime, defense, legal & terrorism in all the dimensions of media. Since 1985, he actively started writing as a freelancer for the local, state & national newspapers and earned good name in the united Madhya Pradesh.
His career in the mainstream newspapers started in 1992 with Hindi tabloid ‘Hamara Mahanagar’ at Mumbai. In 1993, joined Hindi national newspaper ‘Jansatta’ as a crime reporter. He broke many big time stories in both the newspapers.
His broadcast media journalism days started with India’s First Views Channel ‘Janmat’ (Live India) as Bureau Head, Maharashtra-Goa. He was part of the team of channel ‘Mi Mrathi’. Then joined ‘India TV’ as an investigative journalist.
Vivek Agrawal joined as State Head with ‘News Express’. He cracked many stories of Mumbai Mafia, Terrorism, Financial Crimes and Homeland Security all these days.
He is now focusing on writing and documentary projects, consulting print and electronic media houses to establish & run news businesses with right directions and high esteem.
He is offering his services as a news broadcast channel / newspaper / magazine setup professional to news assessment editor to various new establishments across the nation.
26 books on true crime and other serious subjects written by Vivek. He is the country’s first and only researcher-true crime writer in Hindi language.
His books ‘Mumbhai‘ and ‘Mumbhai Returns‘ created quite a stir in the publishing industry and content field. The book ‘Mumbhai’ won the Maharashtra State Hindi Sahitya Akademi Award 2018 in Journalism Catagory. In the same year ‘Mumbhai’ stood #1 in the non-fiction category in the Jagran-Nielsen survey.
The novel Dattatraya Lodge stood 2nd in the Maharashtra Sahitya Academy, Jainendra Kumar Award 2021-22 in the Novel category.
His one of the bestselling book Bombay Bar translated into Punjabi.
He was Chief Content Coordinator for Documentary Money Mafia Season 3 on Discovery Plus.
He is into creative writing for the Films, TV Shows and Web Series. Scripted 2 films, many short films, TV Shows.
Many Film, Web Series, TV+, TV Shows and Podcast projects are underway based on his books or concepts. Not only Crime, Mafia, Terrorism, Mysteries, Social Crimes, Economic Crimes but Social & Entertaining subjects are also procured by studios / production houses.
Unique and startling concepts and stories for the entertainment shows are his strength.
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मुम्बई की बारबालाओं की अब तक अनकही दास्तान को बयान करती है। बारबालाओं की जिन्दगी की उन सच्चाइयों से परिचित कराती है जो निहायत तकलीफदेह हैं।
अपने हुस्न और हुनर से दूसरों का मनोरंजन करती हैं यह उनकी जाहिर दुनिया है। लेकिन शायद ही कोई जानता होगा कि दूर किसी शहर में मौजूद अपने परिवार से अपनी सच्चाई को लगातर छुपाती हुई वे उसकी हर जिम्मेदारी उठाती हैं। वे अपने परिचितों की मददगार बनती हैं। लेकिन अपनी हसरतों को वे अकसर मरता हुआ देखने को विवश होती हैं।
कुछ बारबालाएँ अकूत दौलत और शोहरत हासिल करने में कामयाब हो जाती हैं, पर इसके बावजूद जो उन्हें हासिल नहीं हो पाता, वह है सामाजिक प्रतिष्ठा और सुकून-भरी पारिवारिक जि़न्दगी।
नाउम्मीदी-भरी इस दुनिया में शर्वरी सोनावणे जैसी लड़की हैं जो बारबालाओं को जिस्मफरोशी के धन्धे में धकेलनेवालों के खिलाफ कानूनी जंग छेड़े हुए है।
A book based on social evils and crime and the world of infamous dance bar of Mumbai and Maharashtra. This is a research based book about dance bars, it’s effects – impacts of society, economy, country. How the government of Maharashtra banned the dance bars in Maharashtra despite Supreme Court judgements. Author of Bar Bandi focus on social and financial crisis of bargirls and stigma they faced.
मुंबई के डांस बारों पर पाबंदी लगने के पहले और बाद के हालात पर विहंगम दृष्टिपात करती एक किताब लिखने का इरादा था। जब काम शुरू हुआ तो मुंबई के डांस बारों की 12 आंसू बहाती बुलबुलों की दास्तां ‘बांबे बार’ में समेटीं, जिसे पाठकों ने खूब सराहा।
डांस बारों का लेखा-जोखा, उसके इतिहास से वर्तमान तक हर पहलू पर नजर डालने के उपक्रम में मेरी भी बार-बंदी किताब तैयार हो गई।
मुंबई के डांस बारों पर एक किताब लिखने चला तो ‘बांबे बार – चिटके तो फटके’ तैयार हो गई। उसके बाद काम किया, तो ‘बारबंदी – बरबाद बारों की बारात’ भी तैयार हो गई। उसके बावजूद इतना मसाला बचा रह गया कि एक और किताब तैयार हो जाए, लिहाजा बारबंदगी ने आकार ले लिया।
मुंबई के डांस बार पूरी दुनिया के कैनवस पर सतरंगी और बदरंगी सपनों का संसार हर रोज रचता है। इसमें जो झिलमिलाते सितारे हैं, वह पीछे से दर्द के तारों से बंधा है।
महाराष्ट्र सरकार भले ही कहे कि राज्य में बारबंदी है, सच तो यह है कि हर जगह ‘बारबंदगी’ जारी है। रिश्वत और भ्रष्टाचार के जरिए इनकी रंगीनियां सारी रात गुलजार रहती हैं।
बारबंदी किताब में जहां बारों पर ताला जड़ने और उसके संघर्ष की दास्तान ऊभर कर सामने आई, वहीं बारबंदगी में डांस बारों के ऐसे विषयों पर चर्चा की है, जो रहस्य की श्रेणी में आते हैं।
भारतीय समाज की बेड़िया जनजाति में फैली एक भयावह परंपरा, कुरीतियों, अपराधों पर आधारित किताब है – ‘अगले जनम बेड़नी ना कीजो।‘ यह किताब देश के बेड़िया समाज की सदियों पुरानी उस परंपरा पर नजर डालती है, जिसके तहत परिवार के मर्द ही अपनी बेटियों-बहनों से वेश्यावृत्ति करवाते हैं। समाज की बनाई परंपराओं के पिंजरों में कैद ये लड़कियां उन बुलबुलों की तरह हैं, जो नाच-गा तो सकती हैं, लेकिन रो नहीं सकतीं। इन बेड़नियों की दर्द भरी जिंदगी और हालात पर शोध आधारित पुस्तक है - अगले जनम बेड़नी ना कीजो। बेड़िया समाज की लड़कियां इस कलंकित पेशे से बाहर निकलने के लिए छटपटा रही हैं, उसी पर लेखक ने पूरा ध्यान केंद्रित किया है। बेड़िया समाज में आ रहे परिवर्तनों को भी रेखांकित करने की कोशिश इस किताब में है।
E BOOK-ADRASHYA @149.00
ADRASHYA
ADRISHYA, is a story of a nuclear family and a young kid, who never understood the family threads. Book belongs to horror zoner with the highest family values. ADRISHYA, A First in the history of Indian cinema & Hindi publication arena, a novellus based on a novel idea to convert a film script into literary work. Book is penned by award winning authors Alka Agrawal Sigtia & Vivek Agrawal.
यह किताब एक फिल्म को साहित्यिक रूप में ढालने का अपने-आप में अनूठा और ऐतिहासिक प्रयोग है। फिल्म कुछ समय के लिए होती है लेकिन किताब सदा के लिए होती है। इस उपन्यास की कहानी एक सार्वभौमिक व शाश्वत समस्या पर रोशनी डालती है। इसे ‘हॉरर’ और ‘मिस्ट्री’ की चाशनी में लपेट कर आकर्षक रूप में पेश करने की कोशिश है।
Mumbhai
मुंबई माफिया पर कुछ लिखना, वह भी तब, जब बहुत कुछ कहा-सुना-लिखा-पढ़ा जा चुका हो, एक चुनौती है। ऐसी किताब पेश की है, जिसमें अंडरवर्ल्ड के ढेरों राज फाश हुए हैं।
ख़बरों की कुछ दिनों तक कीमत होती है लेकिन संग्रहणीय किताब सदियों तक कीमती बनी रहती है। देश का सबसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड पूरे विश्व में जा पहुँचा है।
सुकुर नारायण बखिया, लल्लू जोगी, भाणा पटेल, हाजी मस्तान, करीम लाला तक तस्करी थी। वरदराजन मुदलियार ने कच्ची शराब, जुआखानों, चकलों, हफ़्तावसूली तक वो सब किया, जिससे गैंग के बीज पड़े। उसके बाद मन्या सुर्वे, आलमज़ेब, अमीरजादा, पापा गवली, बाबू रेशिम, दाऊद, गवली, सुभाष ठाकुर, बंटी, हेमंत, रवि, संतोष शेट्टी, वगैरह आए। ‘मुंभाई’ में कई अछूते विषय हैं। यह शोधपरक लेखन है। यह पुस्तक अंडरवर्ल्ड का जीवंत दस्तावेज़ है। ये ‘मुंभाई’ श्रृंखला की पहली पुस्तक है।
लिंबू मिरची किताब विवेक अग्रवाल की लेखकीय दृष्टि का अलग पहलू पेश कर रही है।
उनका पहला लघुकथा संग्रह लिंबू मिरची है। यह किताब न जाने कितने विषयों और किरदारों के साथ हाजिरी लगाती है। विवेक अग्रवाल ने इन लघु कथाओं में न केवल विषयों का विस्तार तथा विविधता बनाए रखे हैं बल्कि किरदारों का अनूठा संसार भी गढ़ा है। वे कहानियां लिखते हुए सामाजिक बुराईयों पर गहरा प्रहार करते हैं। कुछ ऐसे बिंदु भी उठा लाए हैं, जो समाज को नई दशा और दिशा देते हैं।
इन कहानियों में समय साथ-साथ चलता है। समाज से उठाए विषय पर लघु कथाएं लिंबू मिरची में हैं। ये छोटी कहानियां मन में टीस भरती हैं। आंखों के कोर गिले करती हैं। कसमसाती हैं। दुखी करती हैं। कभी गुदगुदाती, हंसाती भी हैं। हर कहानी का अपना व्यक्तित्व है क्योंकि हर लघुकथा अलग विषय, स्थान, वक्त, भाव, पात्र धारण करती है।
‘Aansu’ is based on sexual assault on child. This covers village politics & crimes, life & sins of Mumbai eunuchs, human behavior in times
Narrative of Ansu revolves around a myth of eunuch’s words don’t go empty. What they will say, it will happen in your life
This book is a chronicle of birth to death of our protagonist Ramu
Book is based on author’s experience of the society as a crime and investigative journalist for more than 3 decades
आंसू, दरअसल बाल यौन अत्याचार से छलनी जिस्म में बसी बेबस रूह का रुदन है
वासना के भूखे भेड़ियों का झुंड लगातार लपलपाती जीभें और आंखों में हवस भरे चारों तरफ घूमते हैं, उनके बीच जो फंस गया, उसका जिस्म और रूह, दोनों छलनी होना तय हैं
मुख्य किरदार रामू जो इन भूखे भेड़ियों के बीच फंस गया, उसका क्रंदन सुनने वाला कोई नहीं
दत्तात्रय लॉज बॉलीवुड के स्ट्रगलरों की कठिन और हैरतनाक जिंदगी के तमाम पहलू समेटते चलती है। यह कहानी गोरेगांव की दत्तात्रय लॉज और उसके मैनेजर बाबू भाई के इर्दगिर्द चलती है। रुपहले परदे के पीछे की सच्चाईयां आपको हतप्रभ कर देंगी।
Non Fiction book based on life of strugglers of Bollywood. The book revolves around Duttatray Lodge of Goregaon and it’s magager Babu Bhai. The tales of shabby world of silver screens will give you spine chilling expiriance. The narrative of the book presents the facts & anecdotes of B town.
मुंबई अंडरवर्ल्ड अनगिन रहस्य समेटा कहानियों का समंदर है। बस किसी के अंदर तक गोता लगा कर बाहर निकाल लाने की देर है।
किताब क्लीनर में लाशें ठिकाने लगाने वाले पेशेवरों की पूरी दास्तान है, जो आपको हर हर्फ के साथ चौंकाती है।
क्लीनर पाठक को तब तक खुद से जोड़े रखती है, जब तक कि वह इसे खत्म न कर ले।
Cleaner, a novel based on underworld, is first of it’s kind in the Hindi literature. All the charterers and events of the stories are based on a true event of sin and sinister of the world of criminality.
Vivek Agrawal picked up story of a professional dead body cleaning agent of Mumbai underworld, who is operating in disguise with his 2 friends. Backdrop of the Indian Mafioso and blending with literary allegory will keep you engaging till you end the novel.
प्रियदर्शिनी देश की प्रधानमंत्री, जिनके लिए भारत की संप्रभुता सबसे ऊपर है। अमरीका ने खतरनाक सीआईए एजंट रॉबर्ट को प्रियदर्शिनी वध का जिम्मा सौंप रखा है। रॉबर्ट हमले की योजनाएं बनाता है, हर हमले का उसे रेड बैरेट से मुंहतोड़ जवाब मिलता है।
सेना के विभाग टेक्टिकल एक्शन ग्रुप (टेग) के बैनर तले काम करने वाले अज्ञात ग्रुप का कोड नेम रेड बैरेट है।
रेड बैरेट के पास सिर्फ एक काम है - हर हाल में प्रधानमंत्री की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाना, दुश्मनों के एक्टिव होते ही दबोच कर सूचनाएं हासिल करना और मार गिराना।
रेड बैरेट के लिए सीमाओं का बंधन नहीं है। इन्हें सारी दुनिया में काम करने के लिए मुक्त रखा गया।
रेड बैरेट उपन्यास पूरे घटनाक्रम का रोमांचक और लोमहर्षक वर्णन पेश करता है। भारतीय सैन्य खुफिया इकाई की जाबांजी के तमाम किस्सों में से कुछ रेड बैरेट में पेश करता है।
E BOOK-CORONA UNCOS
Corona Uncos is a collection of stories that are very heart warming or terribly heart wrenching. While some stories might shatter your faith in humanity, some of them will not fail to bring a smile on your face.
This book is completely dedicated to the known and unknown Corona Warriors. 150 such stories have been written and compiled by Tanisha Agrawal.
E BOOK-Hello Shakespear @ 149.00
‘हैलो शेक्सपियर’ एक प्रयोगधर्मी नाटक है। इसमें शेक्सपियर के लिखे 6 प्रमुख नाटकों के विशिष्ट दृश्यों को संयोजित किया गया है।
यह नाटक हैं-मैकबेथ, किंगलियर, हैमलेट, ऑथेलो, रोमियो जूलियट और जूलियस सीज़र। इनमें ज़यादातर शेक्सपियर के बेहद सफल और चर्चित ट्रैजिडी नाटकों की झलक हैं। नाटक में ख़ुद शेक्सपियर एक किरदार के रूप में मौजूद है।
वरिष्ठ रंग निर्देशक और बाल रंगमंच के विशेषज्ञ हफीज़ ख़ान की संकल्पना पर आधारित इस नाटक लेखन भारत के जाने-पहचाने लेखक-पत्रकार शकील अख़्तर ने किया है।
Khel Khallas
'Khel Khallas' is all about the mafias of Mumbai and the documented stories of the key characters who played an important role in it. The book has a collection of gangsters, pawns, and informers that highlights the many untold aspects of Mumbai's Mafia universe with such facts which the world is still not aware of. Also it contains information and photographs of Mumbai's infamous Mafia dons, their wives and loved ones, relatives, colleagues, their houses and bases.
वृक्ष हमारे जीवन का अविभाज्य अंग हैं। वृक्षों के बिना जंगल और जंगल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जंगल हमारे पर्यावरण को परिष्कृत, सुरक्षित और संतुलित रखते हुए हमारे जीवन को रोगमुक्त तथा दीर्घायु बनाने की क्षमता रखते हैं। परंतु इस सत्य को दरकिनार कर जंगलों का कटना अबाध रूप से जारी है। इसका विपरीत प्रभाव न केवल पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि जीवों का अस्तित्व भी ख़तरे में पड़ गया है।
लोगों में पर्यावपण के प्रति जागृति भरने के लिए ‘वृक्षम् शरणम् गच्छामि’, ‘रहिमन पानी राखिए’, ‘ये आबादी कितनी बर्बादी’, ‘प्राणवायुः शत-शत प्रणाम’, ‘स्वच्छता देवालय है’ तथा ‘ध्वनि प्रदूषण है खरदूषण’ की रचना हुई। लोक नाट्यों को संक्षिप्त संस्करण के रूप में लेखक ने गायन व वाचन कर आकाशवाणी मुंबई ने धारावाहिक रूप में प्रसारित करके लोकहित में एक महत उद्देश्य की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रुचि और अति उत्साह वाली कहानीकार अलका अग्रवाल ने अपनी कहानियों के मार्फत ध्यान आकर्षित किया है। जीवन में दोस्ती, रिश्तेदारियों, समाज, आदर्शवादी मनुष्यता का स्त्रियोचित प्रसाद इन कहानियों में बिखरा है। ये कहानियां अपने युग का प्रतिनिधित्व करती हैं। तब की लड़कियाँ और स्त्रियों की कहानी और उनका समय पूरे शबाब पर है। आज भले ही वक्त बीत चुका हो, अलका अग्रवाल की कहानियां आज भी वही असर छोड़ती हैं। अलका अग्रवाल की कहानियों में भूमंडल और नगर जीवन की अतिआधुनिक संवेदनशीलता के साथ सामने आती हैं। मुदे इतिहास नहीं लिखते कथा संग्रह की कहानियों में आभा है, भविष्य के अंकुर हैं, जीवन गाथा के स्फुट चित्र हैं। अलका स्त्री विमर्श की कहानियां लिखती हैं। एक महानगर में गृहस्थी के अंतरविरोधों से निकल कर इस कहानीकार ने इन कहानियों को जन्म दिया है। ये कहानियां मन को आलोड़ित करती हैं, झकझोरती हैं।
e book : Khakhi Gangwar @ 199.00
Meet Shekhar Pandey, an unwavering police officer determined to bring down Inspector Bhaiya and his corrupt Khaki Company within the Mumbai Police. Assigned to the Anti-Corruption Bureau, Shekhar faces a dangerous conspiracy that threatens his life.
As he unravels a web of corruption, corporate warfare, and underworld involvement, Shekhar's unwavering spirit will be put to the ultimate test.
Can he defeat Bhaiya and cleanse the Mumbai Police of deep-rooted corruption? Find out in "Khaki Gangwar."
हजारों किलोमीटर के हाईवे और सड़कों पर हर साल सैकड़ों हत्याएं होती है। हजारों करोड़ का माल लूटा जाता है।
हाईवे पर सक्रिय माफिया की इन खूनी और दरिंदगी से भरी हरकतों पर कभी हंगामा नहीं होता। कारण बहुत डरावना है।
हाईवे अपराधों में दरअसल किसी अमीर की हत्या नहीं होती, न उससे हफ्तावसूली होती है। ये तो ट्रक ड्राइवर और क्लीनर हैं, जिन्हें हाईवे माफिया मार गिराते हैं।
पेट्रोल, डीजल, घासलेट, नेप्था चोरी, तस्करी से मिलावट तक, दवा-रसायनों-डाई की चोरी से मिलावट तक, लोहे के सरियों से कॉपर ड्रमों की चोरी तक, मोबाइल फोन, सिगरेट, तंबाकू, कपड़ों, प्लास्टिक दानों से भरे ट्रकों – कंटेनरों की लूटपाट तक, न जाने क्या-क्या हरकत नहीं करता सड़कों पर सक्रिय हाईवे माफिया।
खोजी पत्रकार विवेक अग्रवाल और साथी राकेश दानी ने इस किताब में इसकी परत दर परत हर पोल खोली है।
A book based on social evils and crime and the world of infamous dance bar of Mumbai and Maharashtra. This is a research based book about dance bars, it’s effects – impacts of society, economy, country. How the government of Maharashtra banned the dance bars in Maharashtra despite Supreme Court judgements. Author of Bar Bandi focus on social and financial crisis of bargirls and stigma they faced.
मुंबई के डांस बारों पर पाबंदी लगने के पहले और बाद के हालात पर विहंगम दृष्टिपात करती एक किताब लिखने का इरादा था। जब काम शुरू हुआ तो मुंबई के डांस बारों की 12 आंसू बहाती बुलबुलों की दास्तां ‘बांबे बार’ में समेटीं, जिसे पाठकों ने खूब सराहा।
डांस बारों का लेखा-जोखा, उसके इतिहास से वर्तमान तक हर पहलू पर नजर डालने के उपक्रम में मेरी भी बार-बंदी किताब तैयार हो गई।
अंडरवर्ल्ड का सबसे खतरनाक शूटर शिवा, जो चाकू-तलवार-गुप्ती-पिस्तौल-बंदूकें चलाने में माहिर है। अंडरवर्ल्ड में उसके पहुंचने और दुस्साहसिक कारनामे अंजाम देने की दिल दहलाने वाली दास्तान है - स्ट्राईकर।
शिवा की अंडरवर्ड डॉन, पुलिस, पॉलीटिशियन, उद्योगपतियों के बीच कैरम के स्ट्राइकर जैसी जिंदगी हो चली। वह सबके हाथों खेलता है। अपनी जिंदगी जीने के लिए वह दूसरों की जिंदगी छीनता है।
शिवा के जीवन में एक रानी है। वो प्रिया से मुहब्बत करता है, जिसके साथ सुख के दो पल बिताना ही उसका ख्वाब है। प्रिया हर बार उसके प्रणय निवेदन पर कतरा कर निकल जाती है। शिवा न तो अपनी इस रानी को हासिल कर पा रहा है, ना ही कैरम बोर्ड पर पॉकेट में लाल रानी डालने की कोशिश कामयाब होती है।
क्या शिवा कभी कामयाब नहीं होगा?
आर्केस्ट्रा डांसर की दुनिया भी निराली है। एक तरफ जहां बेड़िया समुदाय की लड़कियां पारंपरिक रूप से इन ऑर्केस्ट्रा में नाचती मिलती हैं, तो गर्ल चाइल्ड ट्रैफकिंग की शिकार लड़कियां भी आर्केस्ट्रा डांसर बनती है, वहीं कुछ लड़कियां बाखुशी इस पेशे में आती है। जरूरी नहीं कि वे सब वेश्यावृत्ति करें। उत्तेजित भीड़ को अपने करीब तक नहीं फटकने देती।
बिहार राज्य में ही 2,000 से अधिक आर्केस्ट्रा पार्टी फुल टाइम लड़कियों के नाच-गाने पर ही चलती हैं। कोई गरीबी की वजह से, कोई आपातकालीन जरूरतों के कारण, कोई शौकिया तौर पर, कोई सिर्फ कमाई करने के लिए, तो कोई फिल्मों में एक रोल मिलने की चाहत में आर्केस्ट्रा पार्टियों के संचालकों की गुलाम बन मंचों पर नाचती हैं। एक तरफ आर्केस्ट्रा लोगों को रोजगार देते हैं, मनोरंजन करते हैं, तो दूसरी तरफ लड़कियों के लिए सुनहले पिंजरों में तब्दील हो जाते हैं।